कुछ नए शेर सुने .... अगर ब्लोग पर पेश ना करता तो बेईमानी होती !
चश्म ऐ पुरनम बही, बही, बही ना बही
ज़िंदगी है, रही, रही, ना रही
तुम तो कह दो जो तुमको कहना था
मेरा क्या है कही कही ना कही
यह मेरे आंसू जिन्हें कोई पोंछने वाला भी नही,
कोई आँचल इन्हें मिलता तो सितारे होते ।
मुश्किल का मेरी उनको मुश्किल से यकीं आया,
समझे मेरी मुश्किल को मगर बड़ी मुश्किल से।
बहुत रोए हैं उस आंसू की खातिर
जो निकलता है ख़ुशी की इन्तेहा पर
Monday, January 28, 2008
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