कई दिनों से जेहन में यह ख्याल ऊपर नीचे हो रहा था की एक ब्लोग अपने उन सभी शायर साथियो को नज़र कर दिया जाए जो बड़ी शिद्दत से शायरी की इस दुनिया को गुमनाम रहकर गुलज़ार कर रहे हैं सो इस चिट्ठे पर दिमाग और दिल दोनों मुतमईन हो गए और शुरू हो गया यह ब्लोग
कलम चले तो जिगर खुश भी हो और छलनी भी कलम रुके तो निजाम ऐ ज़िन्दगी भी रुक जाये कलम उठे तो उठे सर तमाम दुनिया का कलम झुके तो खुदा की नज़र भी झुक जाए
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