कुछ नए शेर सुने .... अगर ब्लोग पर पेश ना करता तो बेईमानी होती !
चश्म ऐ पुरनम बही, बही, बही ना बही
ज़िंदगी है, रही, रही, ना रही
तुम तो कह दो जो तुमको कहना था
मेरा क्या है कही कही ना कही
यह मेरे आंसू जिन्हें कोई पोंछने वाला भी नही,
कोई आँचल इन्हें मिलता तो सितारे होते ।
मुश्किल का मेरी उनको मुश्किल से यकीं आया,
समझे मेरी मुश्किल को मगर बड़ी मुश्किल से।
बहुत रोए हैं उस आंसू की खातिर
जो निकलता है ख़ुशी की इन्तेहा पर
Monday, January 28, 2008
Friday, January 25, 2008
इंतज़ार
कितनी जल्दी ये मुलाक़ात गुज़र जाती है,
प्यास बुझती नही बरसात गुज़र जाती है
अपनी यादों से कह दो इस तरह न आया करे,
नींद आती नही और रात गुज़र जाती है
प्यास बुझती नही बरसात गुज़र जाती है
अपनी यादों से कह दो इस तरह न आया करे,
नींद आती नही और रात गुज़र जाती है
मेरी नज़र - तन्जीर भाई के ब्लोग से साभार
हमारे खास दोस्तो में से हैं तन्जीर भाई। पेशे से हमारी ही तरह नौकरी कि तलाश में लगे नए नए पत्रकार। उनका एक बड़ा धाँसू ब्लोग है अल फतह ! हाल ही में उस पर यह नज़्म... पसंद आई तो उठा ली ! अब दोस्तो की चीज़ें पूछ कर थोडे ही ली जाती हैं !
मेरी नज़र
यूँ भी आ मेरी आँख में कि मेरी नज़र को ख़बर न हो
मुझे एक रात नवाज़ दे, मगर उसके बाद सहर न हो
वो बड़ा रहीम-ओ-करीम है, मुझे ये सिफ़त भी अता करे
तुझे भूलने की दुआ करूँ तो मेरी दुआ में असर न हो
मेरे बाजुओं में थकी-थकी, अभी मह्व-ए-ख़्वाब है चाँदनी
न उठे सितारों की पालकी, अभी आहटों का गुज़र न हो
कभी दिन की धूप में झूम के, कभी शब के फूल को चूम के
यूँ ही साथ-साथ चलें सदा कभी ख़त्म अपना सफ़र न हो
मेरी नज़र
यूँ भी आ मेरी आँख में कि मेरी नज़र को ख़बर न हो
मुझे एक रात नवाज़ दे, मगर उसके बाद सहर न हो
वो बड़ा रहीम-ओ-करीम है, मुझे ये सिफ़त भी अता करे
तुझे भूलने की दुआ करूँ तो मेरी दुआ में असर न हो
मेरे बाजुओं में थकी-थकी, अभी मह्व-ए-ख़्वाब है चाँदनी
न उठे सितारों की पालकी, अभी आहटों का गुज़र न हो
कभी दिन की धूप में झूम के, कभी शब के फूल को चूम के
यूँ ही साथ-साथ चलें सदा कभी ख़त्म अपना सफ़र न हो
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