तुम आज हंसते हो हंस लो
तुम आज हंसते हो हंस लो मुझ पर ये आज़माइश ना बार-बार होगी
मैं जानता हूं मुझे ख़बर है कि कल फ़ज़ा ख़ुशगवार होगी
रहे मुहब्बत में जि़न्दगी भर रहेगी ये कशमकश बराबर,
ना तुमको क़ुरबत में जीत होगी ना मुझको फुर्कत में हार होगी
हज़ार उल्फ़त सताए लेकिन मेरे इरादों से है ये मुमकिन,
अगर शराफ़त को तुमने छेड़ा तो जि़न्दगी तुम पे वार होगी
ख़्वाजा मीर दर्द
1721 - 1785
2 comments:
तुम आज हंसते हो हंस लो मुझ पर ये आज़माइश ना बार-बार होगी
मैं जानता हूं मुझे ख़बर है कि कल फ़ज़ा ख़ुशगवार होगी
wah...! bhot khoob....
nav varas ki subh kamnayen....
लाजवाब रचना भाई मयंक जी. शुभकामनाएं.
रामराम.
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