ये बेहतरीन ग़ज़ल लिखी है हमारे युवा साथी हिमांशु ने, जिनकी लगभग सारी रचनाएँ उम्दा होती हैं। हिमांशु पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे हैं और इस समय जनसत्ता में प्रशिक्षु हैं ..........
चलते - चलते फिर कोई हँसी की बात कर
अपनी बात कर मत किसी की बात कर
भूल जा सफर में बहुत ग़म तुझे मिला
जो मरहला हसीन था उसी की बात कर
अपनों के भेस में यहाँ अय्यार छिपे हैं
बेखौफ मत दरबार में कुर्सी की बात कर
नागिन के इंतकाम की खबरें हुईं बहुत
मायूस किसानों की खुदकुशी की बात कर
जिंदगी बचपन को क्यों होटल पे ला दिया
उसको गले लगा कोई खुशी की बात कर ..............
हिमांशु बाजपाई
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